Monday, July 22, 2013

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अब 5 लाख से कम आय पर भी भरना होगा रिटर्न

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इनकम टैक्स

सैलरी के जरिये 5 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को इस साल इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा। पिछले 2 सालों की तरह इस बार छूट नहीं मिलेगी। टैक्स डिपार्टमेंट रिटर्न भरने के लिए 25 से 31 जुलाई तक राजधानी में स्पेशल काउंटर लगाएगा। इसमें पांच लाख रुपये तक की आय वालों के ही रिटर्न स्वीकार किए जाएंगे। इससे ऊपर की आय वालों को ऑनलाइन रिटर्न भरना होगा।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। वित्तीय वर्ष 2011-12 और 2012-13 में जिन सैलरी वाले कर्मचारियों की आय 5 लाख रुपये तक थी, उन्हें रिटर्न भरने से छूट हासिल थी। इस सीमा में अन्य स्त्रोतों से 10 हजार रुपये तक की आय भी शामिल थी। सीबीडीटी ने कहा है कि यह छूट सिर्फ 2011-12 और 2012-13 के लिए थी। इस छूट को इस साल बढ़ाया नहीं जा रहा है। छूट इसलिए दी गई थी कि रिटर्न कागजों पर दाखिल किया जाता था।

गौरतलब है कि मई में सीबीडीटी ने 5 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर रिटर्न की ई-फाइलिंग को जरूरी बना दिया था। सीबीडीटी का कहना है कि ऑनलाइन रिटर्न फाइल करना यूजर फ्रेंडली है। इन्हें सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर में तेजी से प्रोसेस किया जा सकता है।

टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वालों पर ऐक्शन: चिदंबरम
इकनॉमिक टाइम्स | Jul 18, 2013, 07.47AM IST
नई दिल्ली।। फाइनैंस मिनिस्टर पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि सरकार मौजूदा फाइनैंशल इयर में रेवेन्यू कलेक्शन का टारगेट हासिल करेगी। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट उन 12 लाख सर्विस टैक्स असेसीज पर कार्रवाई करेगा, जिन्होंने रिटर्न फाइल करना बंद कर दिया है।

सरकार ने 2013-14 में इकॉनमी के 6.5 फीसदी की दर से ग्रोथ करने के अनुमान पर 12.36 लाख करोड़ रुपए का ग्रॉस टैक्स टारगेट तय किया है। अगर प्राइवेट इकनॉमिस्ट्स के अनुमान के मुताबिक, ग्रोथ गिरकर करीब 5.7 फीसदी पर रहती है, तो इस टारगेट को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि, चिदंबरम ऐसा नहीं मानते।

उन्होंने कहा, '2012-13 में हमने पिछले साल के कलेक्शन से 21 फीसदी ज्यादा टैक्स हासिल किया था। इस साल इकॉनमी की ग्रोथ 5 फीसदी से ज्यादा रहेगी। ऐसे में हमें पिछले साल से 19 फीसदी ज्यादा टैक्स हासिल करने में दिक्कत नहीं होगी।' चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने चीफ कमिश्नर्स से टॉप 100 टैक्स असेसीज के संपर्क में रहने और उन्हें क्लाइंट्स के तौर पर ट्रीट करने को कहा है। कुल टैक्स कलेक्शन में 80 फीसदी हिस्सेदारी इन्हीं लोगों की है।

सरकार ने कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स सहित इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का टारगेट 2013-14 के लिए 5.65 लाख करोड़ रुपए तय किया है। पिछले फाइनैंशल इयर में सरकार को इस मद से 4.73 लाख करोड़ रुपए मिले थे।

चिदंबरम ने कहा कि असेसीज को भी पिछले साल पेश की गई सर्विस टैक्स की नेगेटिव लिस्ट से अजस्ट करने में समय लग रहा है। उनका कहना था, 'इन समस्याओं को देखते हुए यह हैरानी की बात नहीं है कि सर्विस टैक्स में नॉन-फ्लायर्स और स्टॉप-फ्लायर्स बढ़ गए हैं। यह संख्या 12 लाख के करीब है। हम उन्हें टारगेट कर रहे हैं।'

सर्विस टैक्स के लिए एकमुश्त वॉलेंटरी कम्प्लायंस स्कीम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए असेसीज को प्रोत्साहित करने के मकसद से इसका बड़े स्तर पर विज्ञापन करेगा। उन्होंने बताया कि स्कीम में असेसीज को बेदाग निकलने और बिना इंटरेस्ट के सर्विस टैक्स के एरियर्स का भुगतान करने का मौका दिया गया है। चिदंबरम ने कहा कि गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) पर राज्यों के फाइनैंस मिनिस्टर्स की एम्पावर्ड कमिटी 22 जुलाई को होने वाली अपनी मीटिंग में नया चेयरमैन चुनेगी। उनका कहना था, 'कमेटी खुद में से एक कैंडिडेट का चयन करेगी।'


टैक्स रिटर्न फाइल करने में इन 5 गलतियों से बचें
इकनॉमिक टाइम्स | Jul 10, 2013, 02.11PM IST
नई दिल्ली।। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए 31 जुलाई आखिरी तारीख है। ऐसे में सबको रिटर्न भरने की जल्दी है। हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह आप बिना गलती किए रिटर्न भरें, ताकि टैक्स विभाग का नोटिस न आए।

1. दो बार छूट हासिल करना
यह ऐसी गलती है, जो सैलरी क्लास के कई टैक्सपेयर करते हैं। अगर आपने पिछले फाइनैंशल ईयर में जॉब बदली है, तो आपको दोनों एंप्लॉयर्स से फॉर्म 16 लेना होगा। मुमकिन है कि पहले एंप्लॉयर ने टैक्स सही काटा हो, लेकिन दूसरे ने कम टैक्स कटौती की हो। दूसरा एंप्लॉयर बाकी साल के लिए 2 लाख की छूट के आधार पर टैक्स का आकलन कर सकता है। टैक्स फाइलिंग पोर्टल taxspanner.com के को-फाउंडर सुधीर कौशिक ने बताया, 'ऐसी हालत में आपको अडिशनल टैक्स देना पड़ सकता है।' आप यह न सोचें कि टैक्स रिटर्न में पिछली इनकम का जिक्र नहीं कर आप इससे बच सकते हैं। कंप्यूटराइज्ड जांच में तुरंत इस गड़बड़ी का पता चल जाएगा।
2. टैक्स छूट वाली इनकम का जिक्र नहीं
डिविडेंड टैक्स फ्री है। साथ ही, शेयरों और इक्विटी फंडों से मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, पीपीएफ इनवेस्टमेंट पर मिलने वाला ब्याज और टैक्स फ्री बॉन्ड भी इस दायरे में आते हैं। खास रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट और एग्रीकल्चर इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। ऐसी इनकम के टैक्स फ्री होने के बावजूद रिटर्न में इनका जिक्र जरूरी होता है। इसके बारे में रिटर्न में जानकारी नहीं देना खतरनाक हो सकता है।

3. इंटरेस्ट को शामिल नहीं करना
पिछले साल के बजट में इनकम टैक्स ऐक्ट में नया सेक्शन 80टीटीए लाया गया। इसके तहत सेविंग्स बैंक अकाउंट में 10,000 रुपए तक के ब्याज पर टैक्स छूट का प्रावधान है। फिक्स्ड और रेकरिंग डिपॉजिट पर नॉर्मल रेट से पूरी तरह टैक्स लगता है। टैक्स रिटर्न में बाकी साधनों से इनकम वाले कॉलम में इसका जिक्र करना होता है। टीडीएस कटने के बाद भी आपका टैक्स बन सकता है। टीडीएस महज 10% काटा जाता है, जबकि अगर आप 20-30 फीसदी टैक्स के दायरे में हैं, तो आपको अडिशनल टैक्स देना होगा। एनएससी पर मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स लगता है।

4. टीडीएस डीटेल चेक नहीं करने की गलती
रिटर्न फाइल करने से पहले यह चेक करें कि पिछले साल आपने जो टैक्स दिया है, वह आपके नाम पर क्रेडिट हुआ है या नहीं। फॉर्म 26एएस में टैक्सपेयर के बदले काटे जाने वाले टैक्स का विवरण होता है और इसे आसानी से ऑनलाइन चेक किया जा सकता है। आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर जाकर 'व्यू योर टैक्स क्रेडिट' लिंक पर क्लिक कर इसे देख सकते हैं। पहली बार इस लिंक के लिए आपको रजिस्टर करना होगा। हालांकि, इसमें 5 मिनट से भी कम का वक्त लगता है।

5. आईटीआर 5 को सही समय पर नहीं भेजना
आईटीआर 5 आपके टैक्स रिटर्न की पुष्टि है। अगर आप ऑफलाइन रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपको इस फॉर्म को अपने रिटर्न के साथ भेजना होगा। अगर आपने बिना डिजिटल सिग्नेचर के रिटर्न फाइल की है, तो आईटीआर 5 का प्रिंट लेकर इसे डाक के जरिए बेंगलुरु भेजना होगा।


'इनकम टैक्स एरियर्ज की 97% रिकवरी मुश्किल'
इकनॉमिकटाइम्स.कॉम | Jun 24, 2013, 09.00AM IST
नई दिल्ली।। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने एक बड़े खुलासे में कहा है कि इनकम टैक्स डिमांड एरियर्ज की 97% वसूली मुश्किल है। यह रकम 4.66 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को कुल 4.82 लाख करोड़ रुपए के एरियर की वसूली करनी है। कानूनी मामलों, कंपनियों के लिक्विडेशन में होने, बीमार कंपनियों और टैक्सपेयर्स का पता न होने से इसमें से लगभग 97 फीसदी रिकवरी होनी मुश्किल बताई जा रही है।

इसे देखते हुए सीबीडीटी ने टैक्स वसूलने के लिए बहुत से उपायों की शुरुआत की है। इनमें डिफॉल्टर्स के बैंक खाते जब्त करना और जानबूझ कर टैक्स न चुकाने वालों को गिरफ्तार करना शामिल हैं। अप्रैल 2012 तक 4,82,027 करोड़ रुपए के कुल एरियर बकाया थे। मार्च 2013 के लिए सेंट्रल प्लान के मुताबिक, इसमें से 4,66,854 करोड़ रुपए की रिकवरी मुश्किल है। यह स्थिति चिंताजनक है और इसमें रिकवरी में डिमांड का केवल 3 फीसदी ही बचता है।
सीबीडीटी ने टॉप ऑफिसर्स को हाल में भेजे एक लेटर में लिखा है, 'ज्यादा गंभीर स्थिति यह है कि कुल एरियर डिमांड का 5 फीसदी से कम 23,995 करोड़ रुपए ही 2012-13 के फाइनैंशल इयर में कलेक्ट किया जा सका।' एक सीनियर ऑफिशल ने बताया, 'फाइनैंस पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने फाइनैंस मिनिस्ट्री से कई बार रेवेन्यू लॉस को कम करने के लिए कहा है और कदम उठाए जा रहे हैं। जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।'

सीबीडीटी को आशंका है कि इतने बड़े एरियर्ज इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को संकट में डाल सकते हैं और इस वजह से उसने टैक्स वसूली के लिए डिफॉल्ट करने वाले प्रत्येक असेसी और कंपनियों को ट्रैक करने का फैसला किया है।

बोर्ड ने डिपार्टमेंट के स्पेशल रिकवरी सेल से उन लोगों और असेसीज के बारे में ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक डाटा हासिल करने को कहा है, जिनके ऐसेट्स और प्रॉपर्टीज का पता नहीं लग रहा या जिन्होंने जीरो ऐसेट्स की रिपोर्ट दी है। इस डाटा को हासिल करने के लिए फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट, सिबिल, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की मदद ली जाएगी।

डिपार्टमेंट ने इस बारे में बोर्ड के निर्देश मिलने के बाद ज्यादा से ज्यादा मामले निपटाने और रेवेन्यू बढ़ाने के लिए डिमांड मैनेजमेंट पखवाड़े की शुरुआत की है। 2013-14 में सरकार ने डिपार्टमेंट को डायरेक्ट टैक्स मद में 6.68 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्ट करने करने को कहा है। पिछले फाइनैंशल इयर में यह 5.65 लाख करोड़ रुपए था।


छूट चाहिए तो 30 जून से पहले भरें अपना प्रॉपर्टी टैक्स
नवभारत टाइम्स | Jun 23, 2013, 01.12PM IST
दिल्ली की तीनों एमसीडी में फाइनैंशल इयर 2013-14 के लिए प्रॉपर्टी टैक्स जमा कराने का प्रोसेस शुरू हो चुका है। अगर आप सेल्फ असेसमेंट स्कीम के तहत अपनी प्रॉपर्टी की सही वैल्यू जान कर 30 जून से पहले टैक्स जमा कराते हैं, तो आपको अन्य छूटों के साथ ही 15 पर्सेंट की टैक्स छूट और मिलेगी। तीनों एमसीडी ने इस बार 29 व 30 जून को भी अपने सभी प्रॉपर्टी टैक्स दफ्तर अन्य दिनों की तरह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रखने का फैसला किया है। टैक्स जमा करने के दौरान आपको क्या क्या सावधानियां बरतने की जरूरत है:

क्या है प्रॉपर्टी टैक्स?
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 दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन अमेंडमेंट ऐक्ट-2011 के सेक्शन 114 के तहत दिल्ली की सभी बिल्डिंग्स और खाली जमीन पर प्रॉपर्टी टैक्स लगता है। यह तीनों निगमों की आय का प्रमुख साधन है।
किन्हें मिली है छूट?
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 सेक्शन 115 के तहत उन कैटिगरीज का उल्लेख है, जिन्हें प्रॉपर्टी टैक्स से छूट मिली हुई है। इनमें खेती के लिए इस्तेमाल हो रही खाली जमीन, ग्रामीण आबादी में स्थित 100 वर्गमीटर से कम क्षेत्र में बनी बिल्डिंग्स, जहां जमीन का वास्तविक मालिक खुद भी रह रहा हो, पूरी तरह से आम लोगों के पूजापाठ के लिए इस्तेमाल हो रही जगह जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे आदि, पब्लिक चैरिटी के लिए निगम से एप्रूव्ड संस्थान, क्रिमेशन ग्राउंड, कॉरपोरेशन में रजिस्टर्ड हैरिटेज बिल्डिंग, वार विडोज, पुलिस, पैरामिलिट्री, ब्रेवरी अवॉर्ड विजेता, कॉरपोरेशन की ऐसी बिल्डिंग, जिसे लीज पर ना दिया गया हो और जिसे कॉरपोरेशन खुद अपने काम के लिए इस्तेमाल कर रही हो, ऐसी संपत्तियों को प्रॉपर्टी टैक्स से पूरी तरह छूट मिली हुई है।

कैसे जाने अपनी प्रॉपर्टी की कैटिगरी?
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 दिल्ली की सभी इमारतों और खाली जमीनों को एमसीडी ने कॉलोनी और ग्रुप ऑफ लैंड में बांटा है। इन सभी संपत्तियों को A से लेकर H तक 8 तरह की कैटिगरी में रखा गया है। हर कैटिगरी का एक फिक्स बेस यूनिट एरिया वैल्यू है। उसी के आधार पर टैक्स कैलकुलेशन किया जाता है। यहां हम बता रहे हैं किस कैटिगरी की प्रॉपर्टी के लिए क्या रेट फिक्स है:

कैटिगरी - रुपये/वर्गमीटर
ए - 630
बी - 500
सी - 400
डी - 320
ई - 270
एफ - 230
जी - 200
एच - 100

प्रॉपर्टी टैक्स निकालने का फॉर्म्युला
साउथ एमसीडी के असेसर ऐंड कलेक्टर बी.एन. सिंह ने बताया कि साल 2004 से ही प्रॉपर्टी टैक्स का कैलकुलेशन यूनिट एरिया मेथड पर किया जाता है। कैलकुलेशन का फॉर्म्युला कुछ इस तरह का है। सबसे पहले प्रॉपर्टी की ऐनुअल वैल्यू निकाली जाती है। इसके लिए बेस यूनिट एरिया वैल्यू, बिल्डिंग का कवर्ड एरिया और फैक्टर, इन तीनों का आपस में गुणा करते हैं। प्रॉपर्टी टैक्स के कैलकुलेशन के लिए 4 तरह के मल्टिप्लिकेटिव फैक्टर्स तय किए गए हैं।

1.
 ऑक्यूपेंसी फैक्टर- प्रॉपर्टी सेल्फ ऑक्यूपाइड है या टेनेंटेड है
2.
 यूज फैक्टर- रेजिडेंशल है या कर्मशल (.5 से 10 तक)
3.
 स्ट्रक्चर फैक्टर- कच्चा, पक्का, आधा कच्चा और आधा पक्का
4.
 एज फैक्टर- 1950 से 200 तक या उसके बाद

ऐनुअल वैल्यू निकालने के बाद टैक्स रेट के आधार पर टैक्स का कैलकुलेशन किया जाता है। एमसीडी हर साल 15 फरवरी तक अगले वित्तीय वर्ष के लिए टैक्स का रेट निर्धारित करती है। यह आमतौर पर 6 से 20 पर्सेंट के बीच होता है। इस वित्तीय वर्ष के लिए रेजिडेंशल प्रॉपर्टी पर जो टैक्स रेट निर्धारित किया गया है, वो इस प्रकार से है:

ए और बी कैटिगरी के लिए 12 फीसदी
सी, डी और ई कैटिगरी के लिए 11 फीसदी और
एफ, जी और एच कैटिगरी के लिए 7 फीसदी
उदाहरण: मान लीजिए अगर किसी प्रॉपर्टी की एनुअल वैल्यू 1 लाख रुपये है और वह ए या बी कैटिगरी की है, तो उस प्रॉपर्टी का टैक्स 12,000 रुपए बनेगा।

छूट
प्रॉपर्टी टैक्स के मामले में एमसीडी कई स्तरों पर कई तरह की छूट भी देती है, जो इस प्रकार से है:

ओनर सीनियर सिटिजन- 30 पर्सेंट
ओनर वुमन- 30 पर्सेंट
शारीरिक रूप से विकलांग- 30 पर्सेंट
पूर्व सैनिक, डीडीए, कोऑपरेटिव ग्रुप हाउसिंग- 100 वर्गमीटर तक 10 पर्सेंट
ग्रुप हाउसिंग फ्लैट- 20 पर्सेंट
इसके अलावा जिन लोगों का प्रॉपर्टी टैक्स 5 हजार रुपये या उससे कम का बनता है और वह ऑनलाइन तरीके से अपना टैक्स जमा करवाते हैं, तो उन्हें 2 पर्सेंट की अतिरिक्त छूट मिलती है। अगर आप 30 जून से पहले अपनी प्रॉपर्टी की टैक्स वैल्यू का सेल्फ असेसमेंट करके प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवाते हैं, तो आपको इन सब छूटों के अलावा 15 पर्सेंट की छूट और मिलेगी।

जरा सी लापरवाही पड़ सकती है भारी
अगर आप 30 जून से पहले प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवा कर 15 पर्सेंट की टैक्स छूट का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको काफी सावधानी भी बरतनी होगी। अगर आपने टैक्स का कैलकुलेशन सही तरीके से नहीं किया और बाद में होनी वाली स्क्रूटनी में आपकी चोरी पकड़ी गई, तो आपको लेने के देने पड़ सकते हैं। 15 पर्सेंट की छूट से तो हाथ धोना ही पड़ेगा, साथ ही पेनल्टी और ब्याज भी भरना पड़ेगा। इसलिए टैक्स कैलकुलेशन के वक्त तीन बातों का खास ध्यान रखें:

1.
 मकान का कवर्ड एरिया बिल्कुल सही भरा हो
2.
 मकान कब बना है, उसकी जानकारी बिल्कुल ठीक हो
3.
 बेस वैल्यू करेक्ट हो
अगर आप ऑनलाइन टैक्स भर रहे हैं, तो चालान जनरेट करने से पहले सभी जानकारियों को अच्छी तरह से चेक कर लें। एक बार चालान जनरेट हो गया, तो फिर उस प्रॉपर्टी आईडी से दी गई जानकारी में और कोई करेक्शन नहीं हो पाएगा।

प्रॉपर्टी टैक्स हेल्पलाइन
अगर प्रॉपर्टी टैक्स के मामले में आपको किसी भी तरह का कोई कन्फ्यूजन है, या टैक्स के सही कैलकुलेशन के लिए आपको किसी तरह की मदद की जरूरत हो, तो आप तीनों एमसीडी के जोनल ऑफिस में कॉल करके मदद हासिल कर सकते हैं। साउथ एमसीडी के असेसर ऐंड कलेक्टर बी.एन. सिंह ने कहा है कि साउथ एमसीडी के इलाकों में रहने वाले लोग हेडक्वॉर्टर के नंबर 23227008 पर कॉल करके सीधे उनसे भी संपर्क कर सकते हैं। जोनल ऑफिसों के हेल्पलाइन नंबर इस प्रकार से हैं:

साउथ एमसीडी
साउथ जोन- 26188715, 26199033
सेंट्रल जोन- 26255909, 26264982
वेस्ट जोन- 25143373, 25133373
नजफगढ़ जोन- 25331497, 25335959
इसके अलावा
 anc-sdmc@mcd.gov.in पर ई-मेल भेजकर भी आप अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। अगर किसी तरह की कोई शिकायत है, तो उसे भी दर्ज करवा सकते हैं।

नॉर्थ एमसीडी
सिटी जोन- 23261725
सिविल लाइन्स जोन- 23970482
रोहिणी जोन- 27573943
नरेला जोन- 27783287
करोलबाग जोन- 25726930
सदर पहाड़गंज जोन 23670019

ईस्ट एमसीडी
शाहदरा साउथ जोन- 22501117
शाहदरा नॉर्थ जोन- 22824294

टैक्स जमा करने का ऑनलाइन सिस्टम
नलाइन तरीके से प्रॉपर्टी टैक्स भरने के लिए सबसे पहले एमसीडी की वेबसाइट
http://mcdonline.gov.in पर जाएं। यहां आपको होम पेज पर तीनों एमसीडी की अलग अलग लिंक्स दिखेंगी। आपकी प्रॉपर्टी नॉर्थ, साउथ या ईस्ट में से जिस भी एमसीडी के तहत आती है, उस एमसीडी की लिंक पर क्लिक करें। लेफ्ट हैंड साइड पर नीचे की तरफ आपको 4 लिंक्स दिखेंगी, उनमें से Departments पर क्लिक करें। जो पेज खुलेगा, उसमें से प्रॉपर्टी टैक्स डिपार्टमेंट पर क्लिक करें। यहां General Info सेक्शन में आपको अलग अलग लिंक्स के जरिए यह पता चल जाएगा कि आपकी कॉलोनी किस कैटिगरी में आती है, उस पर टैक्स रेट कितना है, किसे कितनी छूट मिलेगी आदि। अगर आप ऑनलाइन तरीके से टैक्स जमा नहीं करना चाहते हैं, तो Application लिंक के अंदर आपको तीनों एमसीडी के लिए प्रॉपर्टी टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए भरे जाने वाले फॉर्म की लिंक भी मिल जाएगा। यहां से फॉर्म डाउनलोड करके और उसे भर कर आप प्रॉपर्टी टैक्स दफ्तर में जाकर भी टैक्स जमा करवा सकते हैं। सारी जानकारी क्लियर कर लेने के बाद अगर आपको ऑनलाइन टैक्स रिटर्न फाइल करना है, होम पेज पर सबसे नीचे एक लिंक Click Here To File Property Tax 2013-14 मिलेगी। उसके ऊपर बने टर्म्स ऐंड कंडिशन के बॉक्स में क्लिक करने के बाद लिंक पर क्लिक करें।

अगर आपने इससे पहले भी ऑनलाइन तरीके से टैक्स जमा कराया है और आपको अपना प्रॉपर्टी आईडी याद है, तो उसे एंटर करके सबमिट करते ही आपकी प्रॉपर्टी की सारी डीटेल्स आपके सामने आ जाएगी। आपको केवल उसमें जरूरी बदलाव करके फॉर्म सबमिट करना होगा। लेकिन अगर आप पहली बार ऑनलाइन टैक्स रिटर्न भर रहे हैं, तो नीचे दी गई दूसरी लिंक पर क्लिक करें। इसके बाद जो फॉर्म खुलेगा, उसमें सारी जानकारी सही तरीके से भरकर सबमिट करें। कॉलोनी के सेक्शन में जब आप अपनी कॉलोनी का नाम डालेंगे, तो उसके नीचे जोन और वार्ड का नाम, आपकी प्रॉपर्टी की कैटिगरी और यूनिट एरिया वैल्यू खुद ब खुद आ जाएगी। सारी डीटेल्स भरकर सबमिट करने के बाद आप क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए ऑनलाइन पेमेंट भी कर सकते हैं। इसके अलावा चालान जनरेट करके और उसका प्रिंट लेकर अपने प्रॉपर्टी टैक्स ऑफिस में जाकर ड्राफ्ट या चेक के जरिए टैक्स जमा करवा सकते हैं। केवल 5 हजार या उससे कम का प्रॉपर्टी टैक्स ही कैश जमा कराया जा सकता है। अगर टैक्स इससे ज्यादा बनता है, तो फिर आपको चेक या ड्राफ्ट से ही पेमेंट करना होगा। आप एक्सिस या एचडीएफसी बैंक की किसी भी शाखा में जाकर चालान की रसीद के साथ चेक या ड्राफ्ट लगाकर भी टैक्स जमा करवा सकते हैं।



 इनकम टैक्स नोटिस मिलने पर क्या करें?
इकनॉमिक टाइम्स | May 3, 2013, 12.05PM IST
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिलना करदाता के लिए एक बुरा सपना सच होने जैसा होता है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। डेलॉयट हॉस्किन्स ऐंड सेल्स के पार्टनर राजेश श्रीनिवासन के मुताबिक, 'टैक्स नोटिस मिलने पर आपको हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए। ज्यादातर नोटिस रिटर्न प्रोसेस करने के दौरान सामान्य प्रक्रिया के तौर पर भेजे जाते हैं।'

सबसे पहले यह देखें कि क्या नोटिस वास्तव में आपके लिए ही है या नहीं। टैक्स डिपार्टमेंट पैन के अनुसार नोटिस भेजता है, करदाता के नाम पर नहीं।

स्क्रूटनी असेसमेंट के लिए सेक्शन 143 (3) के तहत नोटिस रिटर्न भरने के फाइनैंशल इयर के समाप्त होने के 6 महीने के अंदर देना होता है। अगर इसके बाद नोटिस दिया जाता है, तो इसे गलत माना जाता है। अगर नोटिस साधारण डाक से आया है, तो इसका लिफाफा संभाल कर रखें। यह इस बात का प्रमाण होता है कि इसे कब भेजा गया और यह कब प्राप्त हुआ।

हालांकि, सेक्शन 148 के तहत भेजे गए नोटिस की समयसीमा ज्यादा हो सकती है। चार्टर्ड अकाउंटेंट मीनल अग्रवाल जैन ने बताया, 'इसके तहत असेसिंग अधिकारी आमदनी छिपाने का संदेह होने पर संबंधित असेसमेंट इयर के खत्म होने के 6 साल बाद तक मामला दोबारा खोल सकता है।' अगर ऐसे मामलों में संदेह की रकम 1 लाख रुपए से कम होती है तो केवल 4 साल तक की रिटर्न दोबारा खोली जा सकती हैं।

नोटिस का क्या मतलब होता है
नोटिस मिलने पर क्या आपको किसी एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए? अगर नोटिस केवल किसी तथ्य के मामले में है तो यह कैलकुलेशन की गलती, टीडीएस न मेल खाने या डिडक्शन की रकम की वजह से हो सकता है। ऐसी स्थिति में करदाता को खुद इसका जवाब देना चाहिए। अगर यह कोई गंभीर मुद्दा है, जैसे स्क्रूटनी या सेक्शन 148 के तहत रीअसेसमेंट, तो किसी प्रफेशनल की मदद से इसका जवाब देना चाहिए।

श्रीनिवासन ने कहा, 'किसी एक्सपर्ट की मदद लेने पर खर्च बढ़ जाएगा लेकिन इससे यह पक्का हो जाएगा कि मामले से सही तरीके से निपटा जाएगा। ऐसी स्थिति का हल निकालने में चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद ली जा सकती है।'

स्क्रूटनी नोटिस में बहुत से दस्तावेज मांगे जा सकते हैं। इनमें बैंक स्टेटमेंट, पे-स्लिप, किराए की रसीद और ब्रोकरेज स्टेटमेंट शामिल हो सकता हैं। अगर इन्हें तय समय में जुटाना मुश्किल है तो इसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को देनी चाहिए। जैन के मुताबिक, 'समयसीमा के अंदर जवाब दें। जो भी दस्तावेज आपके पास हो भेज दें और बाकी के लिए और समय मांगे। इससे डिपार्टमेंट को यह साफ हो जाएगा कि आप नोटिस के मुताबिक चल रहे हैं।'


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